शिवहर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला चिरैया विधानसभा इन दिनों राजनीतिक हलचलों के केंद्र में है। कारण है— संत अखिलेश्वर दास। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अंतिम समय में एनडीए प्रत्याशी को समर्थन देकर न केवल भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया, बल्कि यह भी साफ कर दिया कि उनकी आस्था भाजपा की विचारधारा और नेतृत्व में है।स्थानीय स्तर पर संत अखिलेश्वर दास की छवि एक साफ-सुथरे, लोकप्रिय और जनसेवी संत के रूप में रही है। सामाजिक कार्यों से लेकर जनता के बीच लगातार सक्रिय उपस्थिति ने उन्हें राजनीति से दूर रहकर भी हमेशा चर्चित रखा। अब चर्चा यह है कि भाजपा ने चिरैया विधानसभा क्षेत्र से अपने संभावित उम्मीदवारों की सूची में संत अखिलेश्वर दास का नाम शामिल कर लिया है।पार्टी सूत्रों का कहना है कि चिरैया सीट पर लंबे समय से भाजपा को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो स्थानीय जनमानस को जोड़ सके और जातीय समीकरणों से ऊपर उठकर आम मतदाताओं को आकर्षित कर सके। संत अखिलेश्वर दास इस लिहाज से सबसे उपयुक्त माने जा रहे हैं।ग्राम्य अंचल से लेकर कस्बाई इलाकों तक उनकी लोकप्रियता और सादगीपूर्ण जीवनशैली उन्हें पारंपरिक राजनेताओं से अलग खड़ा करती है। यही कारण है कि उनकी दावेदारी को लेकर चिरैया के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदलते नजर आ रहे हैं।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा संत अखिलेश्वर दास को उम्मीदवार बनाती है तो यह सीट भाजपा के लिए मजबूती से साधने का बड़ा अवसर होगी। वहीं, विपक्षी खेमे में भी इस संभावना ने हलचल बढ़ा दी है, क्योंकि संत अखिलेश्वर दास की व्यक्तिगत लोकप्रियता और धार्मिक-सामाजिक स्वीकार्यता किसी भी राजनीतिक दल के लिए कड़ी चुनौती साबित हो सकती है।कुल मिलाकर, चिरैया विधानसभा का चुनाव इस बार केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक छवि की ताकत का भी मुकाबला बनने की ओर बढ़ रहा है।

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