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राष्ट्रधर्म और सामाजिक चेतना पर गोष्ठी, अखंड भारत संकल्प दिवस पर स्वामी दिव्य सागर का उद्बोधन

पटना।राष्ट्र धर्म एवं सामाजिक चेतना पर चर्चा करते हुए ऋषिकेश से पधारे स्वामी दिव्य सागर जी महाराज ने कहा कि .. राष्ट्र धर्म, सामाजिक चेतना के साथ साथ आध्यात्मिक चेतना का विकास सर्वोपरी है....  सामाजिक विकास में अहम भूमिका निभाने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद अग्रणी है तथा समाज में लोगों के बीच जागरण फैलाने की कोशिश कर रही है।  उन्होने आगे कहा कि एक व्यक्ति की स्थिति तालाब में रहने वाले मछली की  तरह जब तक तालाब सुरक्षित है तभी तक मछलियां भी सुरक्षित होती हैं...भारत के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि भारत के लगभग नौ राज्य ऐसे हैं जहां हिंदुओं की आबादी घट चुकी है अल्पसंख्यक हो गए हैं। भारत की डेमोग्राफी बहुत तेजी से बदल रही है जिससे भारत का पुनः विभाजन होने का खतरा मंडरा रहा है...बांग्लादेशी घुसपैठिए लगभग पांच करोड़ भारत में प्रवेश कर चुके हैं ... हेमंत विश्व शर्मा ने जैसे असम में कदम उठाया वैसे ही सभी राज्यों से घुसपैठियों को बाहर निकालने की जरूरत है या उन्हें डिटेंशन कैंप में भेजने की जरूरत है। भारत सरकार से अपिल की गई की जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाया जाए।अखंड भारत संकल्प दिवव के अवसर पर स्वामी जी ने कहा अखंडता की शुरूआत मनभेद खत्म करने से होती है... जाति पाति उच नीच छुआछूत के भेद को मिटाकर हम अपने सनातन धर्म, हिंदू जीवन शैली को एक बार पुनः शक्ति प्रदान कर सकते हैं और साथ ही वो लोग जो किसी प्रलोभन या भय के कारण हिंदू समाज को छोड़ा है एक बार होना उन्हें प्रेम से मनभेद को मिटाकर वापस लाने की जरूरत है तभी अखंड भारत का संकल्प पूरा होगा।भारत में अनेक तरह के विदेशी षड्यंत्र चल रहे हैं जैसे लव जिहाद, भूमि जिहाद, सांस्कृतिक जिहाद, वक्फ बोर्ड इत्यादि... जिसके लिए स्वामी जी न विस्तार से अवगत कराया गौ रक्षा एवं संवर्धन पर स्वामी जी ने कहा कि विदेशों में भारत की गायों को ले जाकर संरक्षित किया जा रहा है उनका समर्थन किया जा रहा है और साथ ही भारत के लोगों को दूध के प्रति अनर्गल बातें की जा रही है मिल्क प्रोडक्ट बंद कराया जा रहा है ताकि कल को हम दूध तथा अन्य दूध उत्पादों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर करेंस्वामी दिव्य सागर ने कहा कि हमारे धर्म में जो थोड़ी सी बुराई है वर्ण व्यवस्था की उसे समाप्त करने के लिए हमे एक बार पुनः वैदिक काल के अनुसार कर्म के आधार पर व्यक्ति की पहचान होनी चाहिए ना की जन्म के आधार पर क्योंकि समाज की कुरीतियों के कारण हीं बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई .... वैदिक काल के विशुद्ध धार्मिक चिंतन एवं जीवन शैली को एक बार पुनः अपनाने की जरूरत है। देश विदेश के अनेक घटनाओं की चर्चा विस्तार से गोष्टी में हुई तथा शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के अनेक पहलुओं पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया...

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