एकमा (सारण): बिहार की राजनीति में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चुकी है, खासकर एकमा विधानसभा क्षेत्र में जहां एनडीए के दो प्रमुख चेहरे – कामेश्वर कुमार सिंह मुन्ना और पूर्व विधायक मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह – टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं।हालांकि क्षेत्रीय जनमानस के रुझान पर गौर करें तो इस बार कामेश्वर कुमार सिंह मुन्ना की लोकप्रियता काफी ऊंचाई पर दिखाई दे रही है। लगातार तीन विधानसभा चुनाव लड़ चुके मुन्ना सिंह बीते 15-20 वर्षों से क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे चुनाव हारने के बाद भी जनता से जुड़ाव बनाए रखते हुए सुख-दुख में सहभागी बने रहे हैं। ग्रामीण इलाकों से लेकर कस्बों तक उनके प्रति जनसमर्थन देखा जा रहा है।
दूसरी ओर, पूर्व विधायक धूमल सिंह के बीते कार्यकाल को लेकर स्थानीय जनता में गहरा असंतोष है। लोगों का कहना है कि 15 वर्षों के विधायक कार्यकाल के बावजूद क्षेत्र की अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी। यही कारण है कि आम जनमानस अब उन्हें दोबारा मौका देने के पक्ष में नहीं है।2020 के विधानसभा चुनाव में यदि एनडीए ने कामेश्वर कुमार सिंह मुन्ना को उम्मीदवार बनाया होता, तो स्थानीय लोगों के अनुसार यह सीट एनडीए की झोली में होती। इस बार जनता का मूड स्पष्ट नजर आ रहा है। मोहल्लों, चौक-चौराहों और जन बैठकों में एक ही नारा सुनने को मिल रहा है –गली-गली में शोर है, मुन्ना भइया अबकी बार तय है।”जातिगत समीकरण भी इस चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं। कामेश्वर कुमार सिंह मुन्ना जहां राजपूत समुदाय से आते हैं, वहीं धूमल सिंह भूमिहार जाति से हैं। एकमा विधानसभा क्षेत्र राजपूत बहुल माना जाता है, और पिछले दो चुनावों में राजपूत मतदाताओं की संगठित भूमिका ने परिणामों को प्रभावित किया है।2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह अंतर स्पष्ट देखा गया। एनडीए प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के प्रचार में जहां कामेश्वर कुमार सिंह मुन्ना ने खुलकर समर्थन किया और सक्रिय भूमिका निभाई, वहीं धूमल सिंह की कार्यशैली को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी गई।राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यदि एनडीए नेतृत्व इस बार जनभावनाओं को समझते हुए टिकट चयन करता है और कामेश्वर कुमार सिंह मुन्ना पर भरोसा जताता है, तो एकमा सीट पर एनडीए की वापसी लगभग तय मानी जा सकती है। लेकिन अगर चूक हुई तो 2020 जैसी गलती दोहराई जा सकती है।
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