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धानुक समाज का अधिकार मांगने पर जदयू ने निकाला : प्रगति

पटना| जदयू के पूर्व प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता ने कहा कि जातिगत गणना में धानुक समाज की संख्या कम दिखाई गई थी, जिस पर मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इसमें सुधार का आग्रह करते हुए पत्र लिखा था। इसी नाराजगी की वजह से बिना किसी नोटिस के अलोकतांत्रिक तरीके से मुझे निष्कासित कर दिया गया। यह तरीका दिखाता है कि जदयू में अब सामंती मानसिकता का वर्चस्व है। 

उन्होंने अपने निष्कासन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर धानुक समाज के अधिकार की बात करने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा तो भी वे आजीवन धानुक समाज के उत्थान की बात करने में कभी हिचकेंगे नहीं। इसके लिए चाहे जो भी सजा मिले, पर सामंती मानसिकता वाले लोगों के सामने कभी झुकेंगे नहीं।प्रगति ने कहा कि जिस अतिपिछड़े समाज की ताकत के बदौलत नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर काबिज हैं, वह समाज अब इनको खटकने लगा है। खासकर धानुक समाज की तरक्की अब उन्हें और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष को अच्छी नहीं लगती, तभी तो जातिगत गणना में धानुक समाज की कम संख्या का मामला उठाया जाना इनको इतना नागवार लगा। ये लोग न्याय के साथ विकास की सिर्फ बात करते हैं, लेकिन न्याय की बात करने पर ये पार्टी से निकाल देते हैं। धानुक समाज इस अन्याय के खिलाफ अब चुप रहने वाला नहीं है। जातिगत गणना में हमारे समाज के साथ अन्याय हुआ है और हम सब इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। वोट हमारा और राज किसी और का यह अब धानुक समाज नहीं होने देगा।
विदित हो कि जदयू ने अपने प्रदेश महासचिव सह प्रदेश प्रवक्ता को बिना किसी नोटिस के छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इस बाबत आज पार्टी मुख्यालय द्वारा पत्र निर्गत कर मीडिया को जानकारी दी गई है।

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