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#265_रुपए_से_करोड़पति_बनने_तक_का_सफर


मुसीबते हमारी जिंदगी की एक सच्चाई है। इसके बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन विजयी वही होता है, जो विजयी होने के बारे में सोचता है। आज हम आपको वैसे ही एक युवा उद्यमी के बारे में बता रहे हैं जो मन को छूने और मस्तिष्क पर छाप छोड़ने वाला है। बिहार के एक छोटे से गांव से निकलर दिल्ली-एनसीआर में लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे उस युवा उद्यमी का नाम है ऋषि सिंह। बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर से कैरियर की शुरुआत करने वाले ऋषि सिंह मौजूदा समय में रियल एस्टेट कंपनी इंदुमा ग्रुप के एमडी हैं। आखिर क्यों ऋषि सिंह लाखों युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं आइए, जानते हैं….

शुरुआती जीवन
ऋषि सिंह ने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बिहार के जमुई जिला के छोटे से गांव बाघाखर से पूरी की। पढ़ने में एक साधारण विद्यार्थी ऋषि बिना हिचक बताते हैं कि वह दो बार लगातार दसवीं की परीक्षा पास नहीं कर पाए। उसके बाद माता-पिता ने कानपुर में रह रही फुआ के पास पढ़ने के लिए भेजा। यहां पर उन्होंने प्रतिस्पर्धा का भान हुआ है। इसके बाद ऋषि ने दिनारात एक कर पढ़ाई की और 1998 में दसवीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास हुए। यहीं से इंटर, बीकॉम और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद बीएड भी पूरा किया। उसी दौरान यानी 2005 से 2006 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने करीब सवा लाख शिक्षकों की भर्ती निकाली। ऋषि भी उसमें पास हुए और जमुई इंटर कॉलेज में नियुक्ती मिल गई। हालांकि, कुछ बड़ा करने की तम्मना ने ऋषि को पढ़ानें का काम ज्यादा समय तक नहीं करने दिया। छह महीने बाद ही शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर ऋषि ने दिल्ली का रुख किया।

सफलता औैर संघर्ष के साल
ऋषि बताते हैं कि कुछ बड़ा करने की तममन्ना लेकर दिल्ली तो आ गया लेकिन क्या करना था यह पता नहीं था। किसी तरह एक परचित के पास केंद्रीय विहार में कुछ दिन रहा। उसी  परचित ने एक सीए के पास चार हजार प्रति माह पर नौकरी लगा दी। लेकिन यहां भी मेरा मन नहीं लगा। फिर मैं मैक्स न्यूयार्क का एडवाइजर बन गया। सीए के यहां से नौकरी छोड़ने और मैक्स का एडवाइजर बनने के बीच का समय मेरे लिए बड़ा ही चैलेंजिंग रहा। परिचत का घर छोड़कर मैं एक कर्नल के सर्वेंट रूम को अपना बेसरा बनाया। वे अच्छे लोग थे। मेरे पास पैसे नहीं थे लेकिन उन्होंने मुझे रहने दिया। मैक्स एडवाइजर बनने के बाद मैं आईसीआईसीआई प्रडूयूशेंयिल जॉइन किया। यहां पर करीब दो साल नौकरी की और सभी मौलिक जरूरतों को पूरा किया।

खुद का कारोबार करने की प्रेरणा
ऋषि बताते हैं कि आईसीआईसीआई में नौकरी से मन उबने लगा। उसी दौरान यानी 2008 में नोएडा एक्सटेंशन (ग्रेटर नोएडा वेस्ट) में नए रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट लॉन्च होने लगे। मैं नोएडा एक्सटेंशन में अपना घर बुक कराने के लिए आया। वहां पर मैं जिस प्रॉपर्टी कंसलटेंन्ट से मिला उससे मैंने इसके फायदे और चैलेंज के बारे में जाना। मैं सोचा की जब मैं इंश्योरेंस बेच सकता हूं कि तो प्रॉपर्टी क्यों नहीं। हालांकि, इंश्योरेंस से प्रॉपर्टी बेचना काफी चुनौतीपूर्ण था। लेकिन, मैं डटा रहा। शुरुआत के कई महीनों तक एक भी बुकिंग नहीं मिली। फिर जाकर बुकिंग मिली लेकिन तब भी मैं सीधे कंपनी से नहीं जुड़ा था। एक बड़े ब्रोकिंग फर्म को वह बुकिंग देना पड़ा और बदले में मुझे कुछ पैसे मिले। मैंन इसके बाद खुद की एक टीम बनाई। फिर काम करते करते अपनी कंपनी बनाई और नए प्रोजेक्ट को अंडर राइट करते चला गया। करावां बढ़ता गया। आज रियल स्टेट की दुनिया में इंदुमा विश्वास का दूसरा नाम है।

सफलता की उड़ान
ऋषि बताते हैं कि आज के समय में उनके पास वो सबकुछ है जो वो चाहते हैं। दिल्ली-नोएडा के अलावा उनकी कंपनी बिहार, झारखंड में अपनी सेवा दे रही है। करीब 200 लोगों की टीम सिर्फ नोएडा ऑफिस में बैठती है। हजारों सुतुष्ट घर खरीदारों का साथ है। Post2Pillr ने जब ऋषि से पूछा कि रियल एस्टेट में विश्वास बहाली करना सबसे बड़ी चुनौती है तो वह इसे कैसे हासिल कर पाए। अपने चेहरे पर मुस्कान लाकर ऋषि कहते हैं कि मैं काम करते-करते एक ही चीज सीखा पाया की अगर आप कस्टमर रिलेशन को ब्रेक नहीं करते हैं तो आप भीड़ से अलग हैं। मैं कस्टमर के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा। उनके साथ काम करते हुए मैं उनके परिवार के एक सदस्य के रूप में शामिल हो गया। इससे मेरी साख बनती चली गई। इससे यह फायदा हुआ कि दूसरी कंपनियों को जहां करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च कर अपना प्रचार-प्रसार करना पड़ा वह मुझे खुद व खुद अपने संतुष्ट कस्टमर से मिला। इससे मेरे सामने सेल टारगेट को पूरा करने का कभी चैलेंज नहीं आया। यही मेरी सफलता का मूल मंत्र है।

युवा को सफलता का मंत्र
ऋषि कहते हैं कि अगर कोई भी युवा महत्वाकांक्षी है औैर अपना करोबार शुरू करना चाहता है तो उसे खुद पर पहले विश्वास करना सीखना होगा। इसके बाद लक्ष्य बनाकर कड़ी मेहनत करनी होगी। कोई भी लक्ष्य बड़ा या असंभव नहीं होता है। बस जीवटता से उसको पाने के लिए टीका रहना होता है।

‘समाज को अभी बहुत कुछ देना है’
आज के समय में ऋषि दिल्ली-एनसीआर के सफल युवा उद्यमियों में शामिल हैं। जल्द ही वह अपना प्रोजेक्ट लाने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन वह बोलते हैं कि अभी मुझे समाज को बहुत को देना है। वह कहते हैं कि बिहार से आने वाले हर युवा के लिए उनका दरवाजा 24 घंटे खुला है। वह जिस तरह की मदद चाहता है मैं देने को तैयार हूं। हाल ही में बिहार सरकार के नियोजित शिक्षक को दिल्ली में रुकने और ठहरने में ऋषि ने बड़ी भूमिका निभाई है। ऋषि हर रोज बिहार से एम्स में दिखने या कोई अगर काम कराने आए लोगों का ठहरने का इंतजाम कराते हैं। वो इस काम को और व्यापक रूप से करने की तैयारी कर रहे हैं।

इनके जीवन से सीख
कभी-कभी आपकी नियती ही आपका प्रेरणा स्त्रोत बन जाती है। आप स्वय उससे जोड़ते हुए चलते जाते हैं और मंजिल पा जाते हैं। छोटी-छोटी सफलता आपको कुछ बड़ा करने का प्रेरणा देती रहती है। यदि आप स्वयं को समझते हुए जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर उदारता के साथ उसपर कार्य करते हैं तो सफलता मिलनी तय है।
#अनूप

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