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पटना के कायस्थ है गोलबंद, माला सिन्हा के नाम पर मेयर चुनाव में लग गई है मुहर

कायस्थ मतों की गोलबंदी से उड़े दिग्गजों के होश,पटना। बिहार की राजधानी पटना बिहार का सबसे बड़ा नगर निगम क्षेत्र है इस बार पटना नगर निगम क्षेत्र के 17लाख 25000 मतदाता सीधे अपने मेयर का चुनाव करेंगे। पटना नगर निगम क्षेत्र 75 वार्ड में विभक्त है जो पटना सिटी से लेकर रूपसपुर नहर तक फैला हुआ है इस पूरे क्षेत्र में 4 विधानसभा क्षेत्र पटना साहिब बांकीपुर कुमहरार और दीघा हैं। वोटरों की बात करें तो 6.50 लाख कायस्थ मतदाता है जो निर्णायक भूमिका में है। दूसरे नंबर पर तीन लाख के करीब बनिया मतदाता है। उसके बाद यादव राजपूत कुशवाहा मुस्लिम जातियों के वोट बैंक है। पटना नगर निगम की 4 विधानसभा क्षेत्रों में 2 पर कायस्थ जाति से आने वाले विधायकों का कब्जा है।हालाकी चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है माना जाता है कि शहरी क्षेत्र में पढ़े-लिखे मतदाता होने का फायदा भाजपा को मिलता रहा है। इस बार पटना नगर निगम से लगभग तीन दर्जन महिला उम्मीदवार अपनी किस्मत मेयर पद के लिए आजमा रही हैं सबका अपना-अपना जातीय समीकरण है। भारत कायस्थ मतदाताओं की गोलबंदी होने के कारण माला सिन्हा के पक्ष में पलड़ा एक तरफा भारी नजर आने लगा है माला सिन्हा ने चुनाव के पूर्व ही अपने सो जाती वोटरों को गोलबंद करने की तैयारी कर रखी थी माला सिन्हा वार्ड 44 की वार्ड पार्षद है और उन्हें पटना का सर्वश्रेष्ठ वार्ड पार्षद का खिताब मिल चुका है उनके पति सितेश रमन चर्चित समाज सेवी हैं माला सिन्हा के परिवार का दूर का कनेक्शन लोकनायक जयप्रकाश नारायण से भी जुड़ता है। जेपी के निकट सहयोगी रहे कुमार अनुपम भी उनके रिश्तेदार हैं। माला सिन्हा पढ़ी लिखी है सजग हैं और कुशल वक्ता है विषय वस्तु को पूरी संजीदगी से सामने रखती हैं। वार्ड पार्षद रहने का फायदा भी उनको मिलता दिख रहा है। सियासी समीकरण में भी माला सिन्हा को कई दिग्गजों का अंदरूनी सपोर्ट मिल रहा है। सूत्रों के अनुसार माला सिन्हा के साथ सबसे प्लस पॉइंट कायस्थ मतदाताओं की गोलबंदी है पटना में तमाम कायस्थ संगठनों ने कई बार मीटिंग की है और अंत में यह निर्णय हुआ कि जो प्रत्याशी जीतने वाला होगा उसे ही समाज सपोर्ट करेगा हालांकि दो-तीन अन्य महिलाएं भी इस समाज से खड़ी है पर वह माला सिन्हा के सामने कहीं टिकती नहीं दिख रही है ऐसे में कई कायस्थ संगठनों ने संयुक्त रूप से माला सिन्हा का समर्थन कर दिया है पटना में कायस्थ मतदाता गोलबंद होकर वोट करते हैं वर्तमान में पटना से भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद भी कायस्थ जाति से आते हैं कायस्थों के साथ सबसे बड़ी दुविधा की स्थिति यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से उनके जाति के रविशंकर प्रसाद की छुट्टी हो चुकी है जबकि बिहार मंत्रिमंडल में भी उनको कोई स्थान नहीं है भाजपा की सरकार थी तो नितिन नवीन मंत्री बनाए गए थे मैं पटना के मेयर पद को लेकर कायस्थ अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे हैं वह किसी भी कीमत पर अपने निर्णायक भूमिका वाले पटना मेयर का पद नहीं छोड़ना चाहते इसलिए पूरी गोलबंदी के साथ माला सिन्हा के साथ नजर आ रहे हैं। पटना में कायस्थों की एक बड़ी धुरी पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा है जिनका आशीर्वाद माला सिन्हा को प्राप्त है। हालांकि माला सिन्हा कहती है कि उन्हें समाज के सभी लोगों का आशीर्वाद प्राप्त है उन्होंने वार्ड काउंसलर के रूप में जो काम किया है वह पूरे पटना के लिए अनुकरणीय है अगर उन्हें मेयर के रूप में मौका मिलता है तो वह अपने उन्हीं कामों को दोहराएंगे क्लीन पटना और ग्रीन पटना अभियान उनका पहले से ही हिट है वह अपनी लड़ाई किसी से नहीं मानती वे कहती है कि लोकतंत्र में लोक यानी जनता ही मालिक है असली पावर जनता के पास है जनता जिसे छूने की वही जीतेगा

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