नई दिल्ली (New Delhi), 20 अगस्त : यूक्रेन में जंग के बीच मौजूदा वक्त में अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. वहीं, भारत दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। अब अमेरिका भारत के नीतिगत विकल्पों का बचाव करते हुए दिखाई दिया। अमेरिका ने कहा कि वह क्वाड और अन्य मंचों के जरिए भारत के साथ ‘बहुत निकटता’ से काम कर रहा है। अमेरिका ने रूस-भारत संबंधों को लेकर अपने रूख में बदलाव किया है साथ ही कहा है कि मॉस्को के साथ ऐतिहासिक संबंध रखने वाले देशों को अपनी विदेश नीति को फिर से बदलने में लंबा समय लगेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने रूस को अलग-थलग करने में अमेरिका की विफलता पर एक सवाल के जवाब में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी अन्य देश की विदेश नीति के बारे में बात करना मेरा काम नहीं है, लेकिन भारत से हमने जो सुना है, मैं उस बारे में बात कर सकता हूं। हमने दुनियाभर में देशों को यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वोट समेत कई बातों पर स्पष्ट रूप से बात करते देखा है। हम यह बात भी समझते हैं और जैसा कि मैंने कुछ ही देर पहले कहा था कि यह बिजली का बटन दबाने की तरह नहीं है। आगे प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘यह विशेष रूप से उन देशों के साथ समस्या है, जिनके रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं। जैसा कि भारत के मामले में है, उसके संबंध दशकों पुराने हैं। भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ झुकाव हटाने में लंबा समय लगेगा।’
प्राइस ने रूस एवं चीन और भारत समेत कई अन्य देशों के बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा, ‘देश अपने संप्रभु फैसले नियमित रूप से स्वयं करते हैं। यह तय करना उनका पूर्ण अधिकार है कि उन्हें कौन से सैन्य अभ्यास में भाग लेना है। मैं यह भी उल्लेख करूंगा कि इस अभ्यास में भाग ले रहे अधिकतर देश अमेरिका के साथ भी नियमित रूप से सैन्य अभ्यास करते हैं।
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