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हर घर तिरंगा : तिरंगे के शिल्पकार पिंगली वेंकैय्या का जीवन परिचय

नई दिल्ली, 31 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आजादी के 75वें वर्षगाँठ को अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है जो कई चरणों में बंटा हुआ है। हर घर तिरंगा अभियान भी उसी महोत्सव का एक विशेष उपक्रम है, इस अभियान के तहत देश भर के 25 करोड़ से अधिक घरों में तिरंगे फहराने का कार्य किये जाने की योजना है। इन सब के बीच एक नाम काफी चर्चा में है, वो नाम है भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उसका स्वरूप देने वाले "पिंगली वेंकैय्या"।

पिंगली वेंकैय्या का जन्म 02 अगस्त 1876 को मद्रास प्रेसीडेंसी के मछलीपट्टनम के निकट भाटलापेनुमरु में हुआ था, वर्तमान में ये क्षेत्र आंध्र प्रदेश राज्य का हिस्सा है। वेंकैय्या का जन्म एक तेलगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उम्र के साथ वेंकैय्या की रुचि समाज सेवा व स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ने लगी थी और उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के प्रखर अनुयायियों में गिना जाने लगा।

स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी लेने के साथ साथ वेंकैय्या अपने कृषक जीवन पर भी खूब ध्यान लगाते थे साथ ही अपने सीमित आय से उन्होंने समाज निर्माण के कार्यों में भी खूब सहयोग किया, वेंकैय्या न सिर्फ क्रांतिकारी अपितु एक प्रखर शिक्षाविद भी थे जिनके द्वारा मछलीपटनम में एक शैक्षणिक संस्थान की स्थापना की गई थी।

उस दौर में देश आजादी के लिए संघर्षरत था, देश के हर कोने से क्रांतिकारी अपना सर्वस्व दे कर भारत के लिए आजादी माँग रहे थे परन्तु सभी को एकजुट करने के लिए जरूरी था कि सभी को एक झंडे के नीचे लाया जाए ऐसे में वेंकैय्या ने ये जिम्मेवारी सम्हाली और भारत के राष्ट्र ध्वज का स्वरूप तैयार करने में जुट गए।

 झंडे का स्वरूप तैयार करने के लिए वेंकैय्या ने भारत के भिन्न प्रान्तों के स्वरूप का अध्ययन करना शुरू किया जिससे भारत की विविधता को एक ध्वज में समाहित कर उसमे एकता अखंडता का भाव पिरोया जा सके, इसके लिए वेंकैय्या को न सिर्फ भारत की सभ्यता, संस्कृति बल्कि विश्व भर के 30 से अधिक देशों के राष्ट्रीय ध्वज का गहन अध्यन करना पड़ा जिसके उपरांत जा कर तैयार हुआ हमारा तिरंगा। 

पिंगली वेंकैय्या के द्वारा डिज़ाइन किये गए हमारे इस राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा चुना गया जिसके उपरांत 26 जनवरी 1950 को इस तिरंगे को भारतीय गणतंत्र का राष्ट्रीय ध्वज बना दिया गया।

हमारे राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक चिन्ह तिरंगे में रंग भरने वाले वेंकैय्या का जीवन हालाकि सदा ही रहा और 04 जुलाई 1963 को गरीबी में उनकी मृत्यु हो गयीं। वर्षों तक ऐसा लगा मानो देश ने उन्हें भुला दिया हो फिर जा कर सन 2009 में उनके सम्मान में भारत सरकार द्वारा डाक टिकट जारी किया गया और सन 2011 में उन्हें भारत रत्न देने का प्रस्ताव आया जो अभी तक पूरा नही हो सका है।

पिंगली वेंकैया का नाम फिर से भारत वासियों के जुबान पर आया है तो इसके पीछे है हर घर तिरंगा अभियान चुकी इस अभियान को आधिकारिक रूप से 02 अगस्त को पिंगली वेंकैय्या के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर ही शुरू किया जाएगा।

आइये हम सभी देशवासी हर घर तिरंगा अभियान से जुड़ कर अपने घरों पर 13 से 15 अगस्त तक तिरंगा फहराते हैं और ऐसे महान विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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