रविन्द्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में संबोधन का प्रारंभ मैंने इस प्रश्न से किया कि "किस प्रकार का व्यक्ति किसी अन्य को प्रेरित कर सकता है ?" सभा में अनेक प्रकार के उत्तरों में किसी ने जब यह कहा कि "सफल" व्यक्ति ही किसी को प्रेरित कर सकता है, तब मैंने सफलता के सूत्रों को विस्तृत रूप में समझाने का प्रयास करते हुए #3Ds (Desire या इच्छा, Dedication या निष्ठा तथा Determination या दृढ़ निश्चय) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया । इसी क्रम में बिहार के इतिहास के संकेतकों पर चर्चा करते हुए मैंने भारतवर्ष के इतिहास में बिहार के महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करते हुए बिहारवासियों को प्रेरित करने की आवश्यकता की महत्ता बताई । सभी सफल विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उदाहरणों के साथ मैंने यही समझाने का प्रयास किया कि बिहार की भूमि प्राचीन काल से ही ज्ञान, शौर्य एवं उद्यमिता की प्रतीक रही है । मैंने यह स्मरण कराया कि हम उन्हीं यशस्वी पूर्वजों के वंशज हैं जिनमें अखंड भारत के साम्राज्य को स्थापित करने की क्षमता तब थी जब न आज की भांति विकसित मार्ग थे, न सूचना तंत्र और न उन्नत प्रौद्योगिकी ।
पूर्वजों के चिंतन की उत्कृष्टता ही थी जिसने बिहार को ज्ञान की उस भूमि के रूप में स्थापित किया जहाँ वेदों ने भी वेदांत रूपी उत्कर्ष को प्राप्त किया । इसी प्रारंभिक ज्ञान की परंपरा ने ही कालांतर में ऐसे विश्वविद्यालयों को स्थापित होते देखा जहाँ संपूर्ण विश्व के विद्वान अध्ययन हेतु लालायित रहते थे । विद्यार्थियों को आगे मैंने यह बताया कि हमें यह समझना होगा कि उर्जा निश्चित आज भी वही है, आवश्यकता केवल चिंतन की है कि उर्जा का प्रयोग हम कहाँ कर रहे हैं । यदि पूर्वजों के कृतित्वों से हम प्रेरित होते हैं तो स्वयं की असीमित क्षमताओं के विषय में भी हमें स्पष्ट हो जाना चाहिए । आवश्यकता लघुवादों यथा जातिवाद, संप्रदायवाद आदि संकीर्णताओं से परे उठकर राष्ट्रहित में आंशिक ही सही परंतु कुछ निस्वार्थ सकारात्मक सामाजिक योगदान समर्पित करने की है । यदि हम चिंता नहीं अपितु चिंतन करें, आपस में संघर्ष नहीं अपितु सहयोग करें, तो उज्ज्वलतम भविष्य के निर्माण का भला अवरोध कौन कर सकेगा ।
आवश्यकता यह है कि हम केवल स्वयं तक सीमित मत रहें और बिहार की विरासत में समाहित इस अद्भुत प्रेरणा का प्रसार करें । #3Es यथा #शिक्षा (Education), #समता (Egalitarianism) तथा #उद्यमिता (Entrepreneurship) के विकास में योगदान कर उज्ज्वलतम भविष्य का निर्माण हम सामुहिक रूप में कर सकते हैं । आवश्यकता संघर्ष को मिटाकर पारस्परिक सहयोग की भावना को बढ़ाने का है । मैंने यह बताया कि इस अभियान से मैं अत्यंत आशान्वित हूँ चूंकि मैं बिहार के इतिहास को भली-भांति जानने और समझने हेतु निरंतर प्रयत्न करता रहा हूँ और यह जानता हूँ कि जब कभी भी किसी कालखंड में चिंतन के साथ बिहारवासियों ने परिस्थितियों में परिवर्तन लाने का संकल्प लिया है तब कभी भी असफलता नहीं मिली है अपितु नवीन कीर्तिमान ही स्थापित होते रहे हैं ।
"पूर्व प्रेरणा करे पुकार, आओ मिलकर गढ़ें नव बिहार ।
नव चिंतन नव हो व्यवहार, लघु वादों से मुक्त हो संसार ।
ज्ञान परंपरा का विस्तार, दीर्घ प्रभाव का सतत् प्रसार ।
बृहतर चिंतन सह मूल्यों पर, आधारित युवा करें विचार ।
हो उठेगा जब संकल्पित सुदृढ़ मन, है संभव इच्छित हर परिवर्तन ।
निराश हो जो गिरे हैं बेमन, नहीं उन्हें सन्निहित शक्ति का स्मरण ।
शक्ति स्रोत जब समझ जाएगा यौवन, भला फिर कहाँ रहेगा दृष्टिभ्रम ।
जागृत कर असीम उर्जा रूप सघन, करेगा स्वतः प्रशस्त नव पथ सर्जन ।"
आइए, मिलकर प्रेरित करें बिहार !
अभियान से जुड़ने के लिए इस लिंक का प्रयोग कर सकते हैं -
https://forms.gle/bchSpPksnpYEMHeL6
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