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गोपालगंज मे राष्‍ट्रपति का गांव: मारीशस होते हुए सेशेल्‍स गए थे हरि‍चरण महतो

सौ साल पहले गोपालगंज बरौली प्रखंड की रामपुर पंचायत के परसौनी गांव से निकले कुछ लोग गिरमिटया मजदूर बनकर सेशेल्स पहुंचे थे। इन्हीं में एक गिरमिटया मजदूर के पुत्र वैवेल रामकलावन अब सेशेल्स के राष्ट्रपति हैं। कुछ साल पहले जब सेशेल्स के राष्ट्रपति रामकलावन वहां के नेता प्रतिपक्ष थे, तब अपने पूर्वजों के गांव का पता लगाकर परसौनी पहुंचे थे। अपने पैतृक गांव की दशा देखकर इनका मन व्यथित भी था, तब प्रशासन ने परसौनी तथा रामपुर पंचायत के विकास को गति देने की बात कही थी, लेकिन सारण तटबंध के सटे इस पंचायत के गांवों में अब भी कच्चा रास्ता है।इस गांव में बिना खिड़की-दरवाजा के जर्जर भवन में आंगनबाड़ी केंद्र चल रहा है। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। नल जल योजना से पानी नहीं मिल रहा है। पानी के लिए टंकी गई पाइप में रस्सी से मवेशी बांधे जाते हैं। गिरमिटया मजदूर बनकर गए इस पंचायत के लाल सेशेल्स को संवार रहे हैं, लेकिन विकास में अपनी मिट्टी पीछे छूट गई है।बरौली प्रखंड मुख्यालय से उत्तर दिशा में छह किलोमीटर दूरी तय करते ही रामपुर पंचायत की चौहद्दी शुरू हो जाती है। 10 हजार की आबादी वाली इस पंचायत के अंतर्गत चार गांव रामपुर बड़ा, रामपुर छोटा, सिकटिया तथा परसौनी गांव आते हैं। रामपुर बड़ा व रामपुर छोटा गांव के समीप से एनएच 27 गुजरती है। ऐसे में इन दोनों गांवों के लोगों को प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक का आवागमन सुगम है। सिकटिया तथा परसौनी गांव सारण मुख्य तटबंध के किनारे बसा है। इन दोनों के निचले हिस्से में बसे लोग हर साल बाढ़ व कटाव की मार झेलते हैं।
परसौनी गांव से ही सेशेल्स के राष्ट्रपति रामकलावन के पूर्वज गिरमिटिया मजदूर बनकर सेशेल्स गए थे। सेशेल्स के राष्ट्रपति के पूर्वजोंं को गांव होने के कारण ही रामपुर पंचायत अब वीआइपी पंचायत में गिनी जाती है, लेकिन जिस गांव से इस पंचायत की पहचान वीआइपी बनी है, वहीं परसौनी गांव विकास मेंं पीछे छूट गया है। रामपुर पंचायत में छह आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इसमेंं परसौनी का भी आंगनबाडी़ केंद्र शामिल है, लेकिन इस गांव के आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बदहाल है। इस गांव में सामुदायिक शौचालय बनाया गया है, लेकिन इस पर ताला लगा रहता है। शौचालय के बेसिन के पाइप में रस्सी बांध कर गाय बांधी जाती है। परसौनी गांव में कच्चे रास्ते का अब तक पक्कीकरण नहीं हो सका है।
सेशेल्स के राष्ट्रपति वैवेल रामकलावन के पिता हरिचरण महतो मारीशस होते हुए सेशेल्स गए थे। इनके परिवार के सदस्य परसौनी गाव निवासी शिक्षक त्रिलोकी महतो बताते हैं कि करीब सौ साल पहले उनके दादा जयरात महतो अपने भाई हरिचरण महतो के साथ गांव से कोलकाता जाकर नमक का काम करते थे। वहां से पानी का जहाज पकड़ कर हरिचरण महतो मारीशस चले गए थे।  तीन साल तक अपने भाई का कोलकाता में इंतजार करने बाद जयराम महतो अपने गांव चले आए थे। इसी बीच दो साल पहले अचानक हरिचरण  महतो के पुत्र वैवेल रामकलावन अपने पूर्वजों के गांव का पता लगाकर परसौनी पहुंचे थे, तब वे सेशेल्स के नेता प्रतिपक्ष थे। अगले साल हुए चुनाव में वैवेल रामकलावन सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने गए। राष्ट्रपति बनकर वैवेल रामकलावन सेशेल्स का विकास कर रहे हैं, वहीं उनके पूर्वजों के गांव की मिट्टी विकास में पीछे छूट गई है।
सेशेल्स अफ्रीका महाद्वीप का सबसे छोटा देश है। ये अफ्रीका का सबसे कम आबादी वाला देश भी है।  सेशेल्स अफ्रीका महाद्वीप की मुख्य भूमि पर स्थित नहीं है बल्कि मुख्यभूमि से 15 सौ किमी दूर पूर्व दिशा में मेडगास्कर द्वीप के उत्तर में ङ्क्षहद महासागर में स्थित है।

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