लखनऊ (Lucknow), 29 जून। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द (President Ram Nath Kovind) ने लोकभवन में मंगलवार को भारत रत्न डा. भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का वर्चुअल शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों पर डॉक्टर आंबेडकर के योगदान की छाप है। इस मौके पर यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और दोनो उपमुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने कहा, बाबा साहब भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के अलावा, हमारे बैंकिंग, इरिगेशन, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, लेबर मैनेजमेंट सिस्टम, रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था आदि सभी क्षेत्रों पर डॉक्टर आंबेडकर के योगदान की छाप है। बाबा साहब के विजन में चार बातें सबसे महत्वपूर्ण रहीं हैं। ये चार बातें हैं-नैतिकता, समता, आत्म-सम्मान और भारतीयता। इन चारों आदशरें तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबासाहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है। उनकी सोच समता और समरसता पर आधारित थी।
उन्होंने कहा, भगवान बुद्ध के विचारों का भारत की धरती पर इतना गहरा प्रभाव है कि भारतीय संस्कृति के महत्व को न समझने वाले साम्राज्यवादी लोगों को भी महात्मा बुद्ध से जुड़े सांस्कृतिक आयामों को अपनाना पड़ा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने भगवान बुद्ध के विचारों को प्रसारित किया। उनके इस प्रयास के मूल में करुणा, बंधुता, अहिंसा, समता और पारस्परिक सम्मान जैसे भारतीय मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का और सामाजिक न्याय के आदर्श को कार्यरूप देने का उनका उद्देश्य परिलक्षित होता है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, बाबासाहब, आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के पक्षधर थे। वे महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए सदैव सक्रिय रहे। बाबासाहब द्वारा रचित हमारे संविधान में आरंभ से ही मताधिकार समेत प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि लखनऊ शहर से बाबासाहब आंबेडकर का भी एक खास संबंध रहा है, जिसके कारण लखनऊ को बाबा साहब की स्नेह-भूमि भी कहा जाता है। बाबासाहब के लिए गुरु-समान, बोधानन्द जी और उन्हें दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानन्द जी, दोनों का निवास लखनऊ में ही था।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा बाबासाहब से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों को तीर्थ-स्थलों के रूप में विकसित किया गया है। महू में उनकी जन्म-भूमि, नागपुर में दीक्षा-भूमि, दिल्ली में परिनिर्वाण-स्थल, मुंबई (Mumbai) में चैत्य-भूमि तथा लंदन (London) में आंबेडकर मेमोरियल होम को तीर्थ-स्थलों की श्रेणी में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि बाबासाहब के जीवन-मूल्यों और आदशरें के अनुरूप समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में ही हमारी वास्तविक सफलता है। इस दिशा में हमने प्रगति अवश्य की है लेकिन अभी हमें और आगे जाना है।
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