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भाषाओं के संरक्षण के लिए जनांदोलन की जरूरत : उपराष्ट्रपति


नई दिल्ली (New Delhi), 27 जून। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice President M. Venkaiah Naidu) ने भाषाओं के संरक्षण के लिए जनांदोलन की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा है कि हमारी भाषा परंपराओं के लाभों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए, आज सरकार के प्रयासों के साथ ही, अपनी भाषाओं के संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता है।

कई पीढ़ियों और भौगोलिक क्षेत्रों के निवासियों को आपस में जोड़े रखने में भाषा की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने हमारी भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं को संरक्षित, समृद्ध और प्रचारित करने के लिए एक ठोस प्रयास करने का आह्वान किया। छठे वार्षिक राष्ट्रेतर तेलुगू समाख्या सम्मेलन में बोलते हुए, नायडू ने सुझाव दिया कि तेलुगु भाषा के लिए और हमारी स्थानीय परंपराओं के पुनरोद्धार के लिए तेलुगू लोगों को एक साथ आना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने सलाह दी कि यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अन्य भाषाओं और संस्कृतियों को कम किए बिना अपनी मातृभाषा को संरक्षित और बढ़ावा दें। नायडू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की परिकल्पना के अनुसार प्राथमिक शिक्षा को अपनी मातृभाषा में होने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में हुई थी।

उपराष्ट्रपति ने कहा, लोगों को यह गलत धारणा नहीं बनानी चाहिए कि यदि कोई अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करता है तो वह सफल नहीं हो सकता और जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता। इसका खंडन करने के लिए हमारे पास अतीत और वर्तमान के कई उदाहरण हैं।

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